मां पृथ्वी से बड़ी पिता आकाश से ऊंचा है माता-पिता से बढ़कर कोई तीर्थ देवता गुरु नहीं माता-पिता से मिले संस्कार की तुलना नहीं माता-पिता की सेवा तुल्य कोई पुण्य नहीसृष्टि में माता-पिता से बढ़कर कोई नहीं हम क्या जाने हमारे लिए हमारी मां कितने दिन कितनी रातें सोई नहीं माता-पिता से बढ़कर दुनिया में कोई नहीं जिनके हृदय में माता-पिता का मूल्य नहीं सृष्टि में वह मानवता के तुल्य नहीं माता-पिता को ठेस पहुंचाने तुल्य कोई पाप नहीं माता-पिता की सेवा कर ख़ुश रहने जैसा पुण्य नहीं लेखक- कर विशेषज्ञ, साहित्यकार, स्तंभकार कानूनी लेखक, चिंतक, कवि, एडवोकेट की किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र।