
समाचार निर्देश एस डी सेठी – कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत जातिवादी दुर्व्यवहार सार्वजनिक स्थान पर होना चाहिये। इसी के साथ ही अदालत ने लंबित मामले को रद्द कर दिया है। बता दें कि शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि बेसमेंट में उसे जातिसूचक शब्द कहे गये थे। इस दौरान उसके सहकर्मी भी मौजूद थे। इस पर अदालत ने कहा कि बेसमेंट सार्वजनिक स्थान नहीं हो सकता। इससे तो यह साफ है कि इमारत का तहखाना सार्वजनिक स्थान नहीं था। और दूसरा केवल वे ही लोग इसका दावा कर रहे हैं कि जो शिकायतकर्ता के सहकर्मी है। अदालत ने कहा “अपशब्दों का प्रयोग स्पष्ट रूप से सार्वजनिक स्थान पर नहीं किया गया है। इसलिए इसमें सजा का प्रावधान नहीं है। वहीं मामले में अन्य कारण भी है। जो शिकायतकर्ता पर संदेह पैदा करता है। दरअसल भवन मालिक जय कुमार नायर से विवाद था और उसने भवन निर्माण के खिलाफ स्टे ले लिया था। इसीलिए अपने कर्मचारियों के सहारे आरोपी को निशाने पर लेकर बेवजह एससी-एसटी ऐक्ट का इस्तेमाल कर रहा है।