समाचार निर्देश एस डी सेठी – दहेज प्रताड़ना को लेकर पत्नी या उनके स्वजनों के द्वारा बेजा हथियार के रूप में इस्तेमाल करना छत्तीसगढ़ गढ हाई कोर्ट ने पति और ससुराल वालो के साथ क्रूरता माना है।. इस तरह के प्रकरण में वैवाहिक संबंध टूटने के बाद जोडना संभव नहीं है। दोनों परिवार के बीच कटुता उभरकर सामने आ जाती है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता चिकित्सक को राहत प्रदान करते हुए तलाक का आदेश दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अपनी शिक्षिका पत्नी को गुजारा भत्ता हर महीने 15 हजार रूपये देने का निर्देश भी दिया। बता दें कि पति स्वस्थ केन्द्र में बतौर चिकित्सक पदस्थ है। महिला की शादी 1993 में डां रामेश्वर सिंह से हुई थी। महिला भी एक निजी स्कूल में टीचर है। शादी के एक साल के भीतर ही दोनों में मनमुटाव के चलते दोनोंअलग रहने लगे। तीन साल बाद डां पति ने परिवार न्यायलय में तलाक का केस दिया तो इसकी जानकारी. होते ही पत्नी ने पति के खिलाफ दहेज प्रताड़ना की एफआईआर दर्ज कर दी। पुलिस ने 498 ए के तहत पति के अलावा सास, ससुर देवर, नन्द के खिलाफ जुर्म करा लिया। वहीं 1 लाख की मांग करने और ना देने पर प्रताडित करने का आरोप मड दिया। लेकिन न्यायालय में सुनवाई के वक्त शिकायतकर्ता पत्नी आरोप साबित नहीं कर पाई। कोर्ट ने पति समेत पूरे परिवार को मुक्त कर दिया। इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए डॉक्टर पति ने छत्तीसगढ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर तलाक की मांग की। उसने कोर्ट में कहा कि इस झूठे केस की बदौलत सदमें में मां की मौत हो गई। इस दौरान पत्नी फिर भी घर नहीं लौटी। डिवीजन बैंच ने इस बात को बेहद गंभीर माना और दहेज प्रताड़ना को लेकर बनाए गए कडे कानून को महिला ने बतौर हथियार के इस्तेमाल किया है। यह चिंता की बात है। इसे क्रूरता की श्रेणी में माना जाएगा। लिहाजा याचिकाकर्ता को तलाक की मंजूरी दी जाती है।