किसान आंदोलन में जहा 716 किसानो की शादत हुई वही MSP कानून की मांग पर 507 दिनों से टिकरी बॉर्डर पर प्रदीप धनखड़ एकमात्र शहादत देने वाले किसान नेता के रूप में इतिहास मे दर्ज हुए। 8 पश्चिम पहाड़ी राज्यों के दौरे को बीच में छोड़ किसान शिरोमणि सरदार वीएम सिंह शहीद किसान के घर एवं धरने के समृति स्थल पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे। उन्होंने हरियाणा सरकार से शहीद किसान नेता के आश्रितों को 50 लाख आर्थिक मदद एवं उनके नाम पर चौक नामांकन करने की CM
हरियाणा से मांग की।27 मई को छोटूराम धर्मशाला में उनकी स्मृति में श्रद्धांजलि सभा में देश के सभी किसान नेताओं, राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों से जुड़े गणमान्य को पहुंचने का निवेदन भी जारी किया। MSP कानून की लंबित लड़ाई को प्रत्येक किसान को अपने योगदान की आहुति देकर अपने फसल खरीद अधिकार कानून तक संघर्ष में जुटने का आह्वान किया। 7 & 8 अक्टूबर को दिल्ली में राष्ट्रीय सतर पर संसद घेराव कार्यक्रम के लिए देश के प्रत्यक राज्य से किसान संगठनों को दोबारा जुड़ना पड़ेगा। मृतक किसान नेता की पत्नी पहले ही अपनी किडनी दान कर चुके हैं। धरना स्थल पर पहुंचकर संदीप शास्त्री, डॉ शमशेर सिंह, सुमित छिकारा सतनाम सिंह पंजाब, सोमरा राजस्थान, विजेंदर सिंह की टीम को हरियाणा में शांतिपूर्वक सभी किसान संगठनों से तालमेल बनाकर संघर्ष को आगे बढ़ाने का संकल्प मांगा। 50 डिग्री के जुलूस के तापमान में आयुष्मान भारत की सदस्यता के बावजूद किसान नेता को आपात स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने में हरियाणा सरकार नाकाम रही। समय पर उचित स्वास्थ्य सुविधा मिलने की स्थिति में आज एक बड़ा किसान नेता हरियाणा को सरकारी तंत्र की विफलता के कारण खोना नहीं पड़ता। बिना किसी चंदे, राजनीतिक सहयोग एवं कमजोर आर्थिक हालात के बावजूद भी आखरी सांस तक दिल्ली बॉर्डर पर किसान नेता ने शांतिपूर्वक धरने पर अपनी जान गवाई। इसका संज्ञान लेने में सरकारी का कोई सक्षम अधिकारी एवं कोई राजनीतिक पदाधिकारी मृतक के घर नहीं पहुंचा जिसको लेकर किसान वर्ग में अच्छा खासा रोष है। किसान एवं हरियाणा के हितों के साथ हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष की मृत्यु पर संयुक्त किसान मोर्चा के मौसमी नेता जानबूझकर दूरी बनाए बैठे हे। 22 दिनों तक दिनों तक किसान की फसल को समर्थन मूल्य में बिकवा ने के लिए कई बार भूख हड़तालए मंडियों में रखें जिनसे उनकी आते भी कमजोर हो संक्रमित हो चली थी। कभी अपने जीवन में पक्ष और विपक्ष के सामने किसान हितों के ऊपर कोई समझौता स्वीकार नहीं किया एवं 9 सदस्य समिति से भी इस्तीफा दिया था। अदानी प्राइवेट गोदामों में किसान अनाज भंडारण के घोर विरोधी थे, वही फसल संसाधन कॉरपोरेशन के आधुनिकरण को लेकर उनका सपना अधूरा रह गया।30 मई को सरकार के समक्ष लिखित मांगों के साथ किसानों का प्रतिनिधिमंडल अपना पक्ष रखेगा।