समाचार निर्देश लाडवा मानव गर्ग : लाडवा के हिन्दू हाई स्कूल में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित श्री कृष्ण कथामृत के अंतिम दिन साध्वी सुश्री जयंती भारती ने श्री कृष्ण कथा के माध्यम से अनेकों ही दिव्य रहस्यों का उद्घाटन किया। जिनसे आज लोग अनभिज्ञ हैं। साध्वी सुश्री जयंती भारती ने बताया कि प्रभु श्री कृष्ण जी का जीवन चरित्र हमारे जीवन के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। प्रभु की कथा एक परिवर्तन है, एक क्रांति है और यह क्रांति, यह परिवर्तन कब घटित होता है? जब हमारे शरीर में प्रभु का प्राक्ट्य होता है क्योंकि मानव जीवन का लक्ष्य परमात्मा को प्राप्त करना है। भारती जी ने बताया कि हमारे समस्त शास्त्रें का यही उद्घोष है आत्म -दर्शन, प्रभु दर्शन, ब्रह्म साक्षात्कार हमारे जीवन का ध्येय है। जिस समय हमारे जीवन में संत समाज का आगमन होता है तो वो केवल परमात्मा की बातें नहीं करता बल्कि परमात्मा से मिला देता है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक सर्व श्री आशुतोष महाराज जी परमात्मा की केवल बातें ही नहीं करते। बल्कि प्रत्येक मानव के घट में परमात्मा का दर्शन भी करवातें हैं। ब्रह्मज्ञान द्वारा ही सम्पूर्ण विश्व में बंधुत्व एवं शांति की स्थापना हो सकती है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान अध्यात्म क्रांति के साथ साथ सामाजिक स्तर पर भी कार्यरत है। संस्थान के बारे में जानकारी देते हुए उन्होने कहा संस्थान का उद्देश्य सम्पूर्ण विश्व को बंधुत्व की भावना में पिरोकर एक ही परिवार का रूप प्रदान करना है। आज केन्द्रीय तिहाड़ जेल में भी संस्थान के द्वारा आश्रम का संचालन किया जा रहा है जिसमें अनेकों ही कैदियों ने ब्रह्मज्ञान को प्राप्त कर अपने जीवन के वास्तविक उद्देश्य को जान लिया है क्योंकि व्यक्ति को यदि शांति और समाज में क्रांति आ सकती है तो केवल मात्र एक ही उपचार है ब्रह्मज्ञान।

उन्होंने बताया कि संस्थान धाार्मिक आयोजनों के साथ-साथ सामाजिक कार्यक्रमों में भी अग्रणी है। संस्थान द्वारा ब्रह्म ज्ञान के माधयम से समाज को नवीन चेतना प्रदान कर उसमें से तमाम कुरीतियों को जड़ से खत्म किया जा रहा है। जिसका एक ज्वलंत उदाहरण है युवाओं में बढ़ रही नशों की प्रवृत्ति का संस्थान द्वारा आधयात्मिक चेतना के माधयम से उन्मूलन किया जा रहा है। हजारों लाखों लोग जिनके घर परिवार नशों के लत के कारण बरबाद होते जा रहे थे। संस्कृति जीवन का अविभाज्य अंग है। संस्कृति का विकास जीवन एवं समाज का विकास है। सांस्कृतिक मूल्यों के आधार पर ही व्यक्ति, राष्ट्र, समाज की पहचान होती है। भारत वर्ष युगों से इन प्रश्नों का समाधान सम्पूर्ण विश्व को देता आ रहा है और देता रहेगा। यह समाधान है अध्यात्म जो भारतीय संस्कृति का आधार है। जिसके विषय में कहा गया- या प्रथमा संस्कृति विश्वारा। अर्थात् सम्पूर्ण विश्व में सर्वप्रथम और सर्वश्रेष्ठ भारतीय संस्कृति है। अध्यात्म ही सम्पूर्ण विकास की प्रक्रिया है। यही समस्त वेदों का सार है। हमारी भारतीय संस्कृति की महानता का प्रचार प्रसार संपूर्ण विश्व में विख्यात है। मौके पर भारी संख्या में श्रद्वालु मौजूद थे।

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