- साक्षरता से बढ़ता है व्यक्ति का आत्मसम्मान _ अर्चना।
- किसी को साक्षर बनना पुण्य का काम_अर्चना।
- किसी को साक्षर बना हम देते है देश की तरक्की में योगदान_ अर्चना।
पानीपत कमाल हुसैन – निरक्षर व्यक्ति की जब कन्हीं हस्ताक्षर के बोला जाता है उसको हीन भावना महसूस होती है। तब उसको अपने साक्षर ना होने पर बड़ा मलाल होता है। यदि हम किसी भी निरक्षर व्यक्ति को साक्षर बना देते है तो उस व्यक्ति का आत्मसम्मान बड़ जाता है । ये शब्द सतलज वेलफेयर फाउंडेशन की निदेशक डा अर्चना ने माडल टाउन के सरकारी कन्या स्कूल की छात्राओं को संबोधित करते हुए कही। जिसको हम साक्षर बनाते है वो हमे दिल से दुआ देता है । इसलिए किसी को साक्षर बनना पुण्य का काम होता है। साक्षर व्यक्ति देश की तरक्की में ज्यादा योगदान दे सकता है। इसलिए किसी को साक्षर बना हम खुद भी देश की तरक्की में योगदान दे सकते है। डा अर्चना ने कहा के हम संकल्प ले की हम कम से कम एक व्यक्ति को साक्षर बनाए। अपने परिवार में या अपने आस पड़ोस में जो व्यक्ति निरक्षर हो उसको ही साक्षर बनाए । डा अर्चना ने कहा की महिलाओं में साक्षरता के दर ज्यादा कम है और महिलाओं को साक्षर बनाने में छात्रा ज्यादा आसान व आराम महसूस कर सकती है आप महिलाओं को साक्षर बनाने पर ध्यान केंद्रितकरे। डा अर्चना ने कहा निरक्षर व्यक्ति को नाम लिखना , कम से कम।100 तक गिनती लिखना, पढ़ना व रोज मर्रा के जीवन के छोटे मोटे हिसाब सीखना ही साक्षरता । डा अर्चना ने छात्राओं से हाथ उठाकर साक्षरता की शपथ दिलाई। डा अर्चना ने कहा की सतलज वेलफेयर फाउंडेशन कई सालों से साक्षरता मिशन पर काम कर रहा था परंतु कुछ कारणों से समय नही मिल पा रहा था अब फिर फाउंडेशन पूरी गति से इस मिशन पर काम करेगा।